
आरती कश्यप
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में तनाव: वैश्विक राजनीति का नया समीकरण
आज का वैश्विक परिप्रेक्ष्य एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुका है, जहाँ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में तनाव और संघर्ष नए रूप में उभर रहे हैं। वैश्विक शक्ति समीकरणों में बदलाव, विभिन्न देशों के आंतरिक और बाहरी दबाव, और वैश्विक आर्थिक एवं राजनीतिक अस्थिरता के कारण अंतर्राष्ट्रीय रिश्तों में जटिलताएँ बढ़ रही हैं। इन तनावों का असर न केवल देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा, और कूटनीतिक पहलुओं पर पड़ रहा है, बल्कि पूरी दुनिया में शांति और स्थिरता की दिशा में भी खतरे की घंटियाँ बज रही हैं।
1. महाशक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा:
दुनिया में महाशक्तियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा, खासकर अमेरिका, चीन और रूस के बीच, अंतर्राष्ट्रीय तनाव को और बढ़ा रही है। अमेरिकी वैश्विक नेतृत्व, चीन का आर्थिक विस्तार और रूस की सैन्य ताकत, इन तीन महाशक्तियों के बीच तनावपूर्ण रिश्ते वैश्विक राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं। चीन के बढ़ते प्रभाव और बेल्ट एंड रोड पहल से अमेरिका चिंतित है, जबकि रूस का यूरोप और यूक्रेन के मुद्दों पर अड़ा हुआ रुख तनाव का कारण बना हुआ है।
2. यूक्रेन युद्ध और इसके प्रभाव:
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष ने वैश्विक राजनीति में न केवल यूरोप, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद, यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इस युद्ध ने न केवल यूरोपीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा किया है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति, खाद्य संकट और वित्तीय अस्थिरता को भी जन्म दिया है। युद्ध के परिणामस्वरूप, देशों के बीच सैन्य गठबंधन और असहमति में वृद्धि हुई है।
3. चीन और ताइवान:
चीन और ताइवान के बीच बढ़ता तनाव एक और बड़ा मुद्दा है, जो वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चीन ने ताइवान को अपना हिस्सा मानते हुए उस पर आक्रमण की धमकियाँ दी हैं, जबकि ताइवान अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है। इस स्थिति में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश ताइवान के पक्ष में खड़े हैं, जिससे तनाव और बढ़ रहा है। चीन के साथ तनाव के कारण ताइवान और उसके सहयोगी देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं, जो पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को प्रभावित कर रही हैं।
4. मध्य पूर्व में अस्थिरता:
मध्य पूर्व का क्षेत्र लंबे समय से संघर्षों, अस्थिरता और राजनीति के कारण तनावग्रस्त है। इस क्षेत्र में विभिन्न राष्ट्रों के बीच धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मतभेदों के कारण संघर्ष बढ़ रहे हैं। उदाहरण के लिए, इरान और सऊदी अरब के बीच शिया-सुन्नी विवाद, इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच दशकों से चला आ रहा संघर्ष, और सीरिया में चल रहा गृह युद्ध इन तनावों को और बढ़ा रहे हैं। इन संघर्षों ने न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित किया है, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी खतरा पैदा किया है।
5. जलवायु परिवर्तन और वैश्विक सहयोग की कमी:
जलवायु परिवर्तन आज के समय में एक बड़ा वैश्विक मुद्दा बन चुका है, और इसके परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में तनाव बढ़ रहा है। विकसित और विकासशील देशों के बीच जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियों को लेकर असहमति है। जबकि विकसित देश इतिहास में अधिक कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार रहे हैं, विकासशील देशों का कहना है कि उन्हें अपनी आर्थिक विकास प्रक्रिया में रुकावट नहीं आनी चाहिए। इस कारण से जलवायु सम्मेलन जैसे COP शिखर सम्मेलनों में सहयोग की कमी देखी जा रही है।
6. आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा:
आतंकवाद एक और कारण है जिसने वैश्विक सुरक्षा को प्रभावित किया है। विभिन्न देशों में आतंकवादी संगठन अपनी गतिविधियाँ बढ़ा रहे हैं, जिनका असर केवल स्थानीय क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इनकी गतिविधियाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी दिखती हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया, और इराक जैसे देशों में आतंकवादी समूहों का प्रभाव वैश्विक शांति के लिए खतरा बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बावजूद, आतंकवाद से निपटने में कई देशों के बीच असहमति और तनाव बना हुआ है।
7. वैश्विक आर्थिक संकट और असमानता:
वैश्विक अर्थव्यवस्था में असमानता, बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक संकट भी अंतर्राष्ट्रीय तनाव को बढ़ाने वाले कारक हैं। कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में आए परिवर्तनों ने कई देशों के विकास को प्रभावित किया है। विकासशील देशों में गरीबी और असमानता बढ़ रही है, जबकि विकसित देशों के पास अधिक संसाधन और शक्तियाँ हैं। इस आर्थिक असमानता ने देशों के बीच तनाव और असहमति को बढ़ावा दिया है, जिससे वैश्विक सहयोग की दिशा में बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं।
निष्कर्ष:
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में तनाव वैश्विक राजनीति की एक महत्वपूर्ण और जटिल विशेषता बन चुकी है। वैश्विक महाशक्तियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा, क्षेत्रीय संघर्ष, और वैश्विक समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद ने देशों के रिश्तों को चुनौती दी है। हालांकि, इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और कूटनीति की आवश्यकता है, लेकिन विभिन्न देशों के बीच बढ़ती असहमति और संप्रभुता की रक्षा की भावना इन प्रयासों में बाधा डाल रही है। यह समय है कि वैश्विक समुदाय एकजुट होकर इन तनावों को हल करने के लिए सकारात्मक कदम उठाए, ताकि वैश्विक शांति, सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।